Sunday, December 6, 2009

पत्नी के प्यार से अजिज पति ने मांगा तलाक



सुनने में भले ही विचित्र लगे, लेकिन है सत्य कि पति ने पत्नी के बेइंतहा प्यार से परेशान होकर तलाक मांगा है। उसने कड़कड़डूमा कोर्ट में तलाक की याचिका दायर की है। अधिवक्ता नितिन कुमार ने बताया कि शाहदरा के युवक रमन (काल्पनिक नाम) की शादी नांगलोई निवासी सुमन (काल्पनिक नाम) से 7 नवंबर, 2007 को हुई थी। उसका कहना है कि पत्‍‌नी विवाह से पूर्व ही किसी दिमागी बीमारी से पीडि़त थी। यह बात ससुराल वालों ने उससे छिपाई। विवाह के एक साल तक तो सब ठीक रहा, मगर जनवरी, 2009 से उसके वैवाहिक जीवन में भूचाल आ गया। पत्‍‌नी सुमन ने उसकी आवश्यकता से अधिक चिंता करने लगी। शुरुआत में उसने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया। सुमन की दिमागी हालत खराब होती चली गई। अगर, वह घर पर होता है तो उसकी पत्‍‌नी एक पल भी उसे आंखों से ओझल नहीं होने देती। कोई उससे बातचीत करता है तो सुमन उसे यह कहकर घर से भगा देती है कि छुट्टी के दिन पति का दिन केवल उसका है। घर से निकलने के बाद उसे दर्जनों बार फोन करके उसे पूछती है कि वह ठीक तो है। इसके चलते घर के फोन का बिल 10 हजार के करीब आने लगा है। वह फोन स्वीच आफ कर लेता है तो पत्‍‌नी हालचाल जानने के लिए उसके आफिस पहंुच जाती है। ऐसा उसके साथ कई बार हो चुका है। दोस्तों एवं रिश्तेदारों में वह हंसी का पात्र बनता जा रहा है। वह न तो घर में चैन से रह सकता है और न ही बाहर। उसने पत्‍‌नी को इहबास अस्पताल में मनोचिकित्सक को दिखाया और वहां पर उसका उपचार भी चल रहा है। वह गंभीर मानसिक रोग से पीडि़त है, जोकि किसी को भी बाल अवस्था में में हो सकता है और सही इलाज न होने पर जीवन भर उसका असर रहता है। पत्‍‌नी का आवश्यकता से अधिक प्यार उसकी बर्दाश्त के बाहर है। लिहाजा उसे तलाक दिलाया जाए...

पांच साल की बच्ची के खिलाफ वारंट



अदालत में पेश न होने पर लोगों के खिलाफ वारंट जारी करना अदालत की सामान्य प्रक्रिया है। यह प्रक्रिया आमतौर पर अदालती आदेशों को न मानने वालों के खिलाफ अमल में लाई जाती है। मगर, कड़कड़डूमा कोर्ट ने गवाही के लिए पेश न होने पर पांच साल की बच्ची के खिलाफ भी जमानती वारंट जारी कर दिया है। किसी पांच साल के बच्चे के खिलाफ जमानती वारंट जारी होने का राजधानी में यह पहला मामला है।
यह मामला कड़कड़डूमा कोर्ट स्थित मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट शिवाली शर्मा की अदालत का है। अदालत ने दुष्कर्म के मामले में पीड़िता पांच साल की बच्ची के खिलाफ पांच हजार रुपये के जमानती वारंट जारी किए हैं और अदालती निर्देश जारी किया गया है कि वह 10 दिसंबर तक अदालत के समक्ष पेश हो। अदालत द्वारा जारी किए गए इस सम्मन ने न्यू उस्मानपुर थाना के कर्मचारियों को परेशानी में डाल दिया है।

खिड़की ने किया जीना दुश्वार, कोर्ट से गुहार

जज साहब! पड़ोसी की खिड़की मेरे लिए जी का जंजाल बन गई है। खिड़की को न तो पुलिस बंद करा सकी और न ही नगर निगम। ऐसे में मुझे अदालत की शरण लेनी पड़ी। जाफराबाद के युवक ने कड़कड़डूमा कोर्ट में खिड़की बंद कराने के लिए याचिका दायर की है।
जाफराबाद इलाके में रहने वाले इमरान (काल्पनिक नाम) ने पड़ोसी शाहिद (काल्पनिक नाम) के मकान की खिड़की बंद कराने के लिए सिविल जज की अदालत में याचिका दायर की है। याचिका में इमरान का कहना है कि वह जाफराबाद स्थित मकान में प्रथम तल पर किराये पर रहता है। उसके कमरे के आगे बालकनी है। उसकी शादी को तीन माह हुए हैं। सामने बने मकान में रहने वाले युवक शाहिद ने कमरे की दीवार तोड़ कर उनकी तरफ खिड़की निकाल ली। वहां से शाहिद उसकी पत्नी को गलत इशारे करता है। उसने कई बार शाहिद को धमकाया, लेकिन वह हरकतों से बाज नहीं आया। जब भी वह बालकनी में सिगरेट पीने के लिए खड़ा होता है तो शाहिद उस पर पानी गिरा देता है। उसने कई बार शाहिद के खिलाफ पुलिस को शिकायत की, लेकिन उसने कोई कार्रवाई नहीं की। पुलिस ने कहा कि शाहिद ने खिड़की बिना नक्शा पास कराए मकान में अवैध रूप से बनाई है। वह इसकी नगर निगम को शिकायत कर उसकी खिड़की बंद करा सकता है। उसने मामले की शिकायत निगम अधिकारियों को भी की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। निगम अधिकारियों के चक्कर काटने पर भी उसे लाभ न पहुंचा तो उसे मजबूरन पड़ोसी की खिड़की बंद कराने के लिए अदालत की शरण लेनी पड़ी।