Sunday, January 10, 2010

सरकार ने दबाए 25 हजार बच्चों के ढाई करोड़ रुपए!

बात सुनने में अजीब लगेगी, लेकिन सच है। एक-दो नहीं, बल्कि दिल्ली के 25000 से ज्यादा गरीब बच्चों का करीब ढाई करोड़ रुपया दिल्ली सरकार दबाए बैठी है। यह पैसा कमजोर आय वर्ग से ताल्लुक रखने वाले गरीब बच्चों को हर साल किताब-कापियां और यूनिफार्म खरीदने की मद में मिलता है, जो अभी तक नहीं मिला है। जनवरी चल रही है और शैक्षणिक सत्र पूरा होने में चंद माह शेष हैं। अब तक गरीब बच्चों को उनका हक मिल जाना चाहिए था, पर अधिकारियों को शायद यह ध्यान ही नहीं। हाईकोर्ट के आदेश पर वर्ष 05-06 में एनसीईआरटी के तत्कालीन निदेशक प्रोफेसर कृष्ण कुमार की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई थी। उसमें अधिवक्ता अशोक अग्रवाल भी सदस्य थे। कमेटी से निजी स्कूलों में कमजोर आय वर्ग के बच्चों को प्रवेश और उन्हें मिलने वाली सहूलियतों के बारे में रिपोर्ट देने को कहा गया था। कमेटी ने सिफारिश की थी कि गरीब बच्चों को स्कूल की ओर से किताबें, यूनिफार्म और ट्रांसपोर्ट की सुविधा नहीं मिलती है। ऐसे में ये खर्चे सरकार को उठाने चाहिए। हाईकोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली पीठ ने ईडब्ल्यूएस श्रेणी के बच्चों को किताबें और यूनिफार्म की खरीद का खर्च उठाने (रीइंबर्स) के लिए सरकार को निर्देश दिया था। तब सरकार ने जैसे-तैसे करीब एक करोड़ रुपये इस मद में लगाए। अधिवक्ता अशोक अग्रवाल के मुताबिक, इस वर्ष दिल्ली सरकार गरीब बच्चों की ओर से आंखें मूंदे बैठी है, जबकि आदेश अप्रैल, 07 से लागू हंै। दिल्ली के 394 निजी स्कूलों में नर्सरी से बारहवीं तक 15 फीसदी ईडब्ल्यूएस कोटे के तहत पढ़ने वाले 25 हजार से ज्यादा बच्चों के अभिभावक अप्रैल में शैक्षणिक सत्र शुरू होने के साथ ही किताबें और यूनिफार्म खरीद चुके हैं, लेकिन अभी तक बच्चों को वापस लौटाई जाने वाली राशि निर्गत नहीं की गई है। सरकार बच्चों का ये पैसा दबाए बैठी है। पहले सरकार की ओर से 650 से लेकर 800 रुपये प्रति बच्चे के हिसाब से राशि वापस की गई थी। तब यूनिफार्म का सरकारी दाम 300 रुपया था, जो महंगाई के चलते बढ़कर पांच सौ रुपये हो चुका है। इसी प्रकार जियोमेट्री बॉक्स के पहले 30 रुपये मिलते थे। कायदे से हर बच्चे को एक हजार रुपया मिलना चाहिए। इस हिसाब से बच्चों का करीब ढाई करोड़ रुपया सरकार को देना है। अभी तक सरकार की ओर से कोई कोशिश शुरू नहीं हुई है। इसे देखते हुए बीते दिनों सोशल ज्यूरिस्ट की ओर से शिक्षा सचिव को पत्र भेजा गया है। सुनवाई न होने पर अदालत से फरियाद करने की बात कही है।

कैंची से दोस्ती करेंगे आईटीआई के छात्र

आईटीआई के छात्र कई तरह के औजारों के साथ दोस्ती निभाते रहे हैं, लेकिन इस बार उनकी दोस्ती ऐसे औजार के साथ होगी, जो उन्हें नाम, शोहरत और पैसा तीनों उपलब्ध करा सकेगा। तकनीकी निदेशालय राजधानी की सभी आईटीआई में हेयर ड्रेसिंग का कोर्स शुरू करने जा रहा है। उनको नामी-गिरामी हेयर स्टाइलिस्टों के यहां ट्रेनिंग भी उपलब्ध कराई जाएगी। अब आईटीआई के तकनीकी विशेषज्ञ ही नहीं निकलेंगे, बल्कि नामी गिरामी हेयर स्टाइलिस्ट भी तैयार किए जाएंगे। आजाद बारबर एसोसिएशन दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष डा. मोहम्मद इमरान सलमानी एवं यमुनापार अध्यक्ष इजहार सलमानी ने बताया कि राजधानी दिल्ली के कम पढ़े-लिखे युवकों को हेयर ड्रेसिंग की बेहतर ट्रेनिंग एवं सरकारी डिप्लोमा दिलाने के लिए उन्होंने दिल्ली सरकार के तकनीकी शिक्षा निदेशालय को हेयर ड्रेसिंग का डिप्लोमा कोर्स राजधानी के सभी आईटीआई में कराए जाने का सुझाव भेजा था। इस पर तकनीकी शिक्षा निदेशालय ने मंजूरी दे दी है। नए सत्र से नए कोर्स को शुरू करने की योजना बनाई है। तकनीकी शिक्षा निदेशालय के अस्सिटेंट डायरेक्टर जुवेल कुजुर के अनुसार निदेशालय हेयर ड्रेसिंग के डिप्लोमा कोर्स को फलेक्सिबल मॉडयूलर ट्रेनिंग स्कीम के तहत इस वर्ष के नए सत्र से शुरू करेगा। यह डिप्लोमा कोर्स छह माह का होगा। इसको करने के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता 8वीं कक्षा पास होना रखी गई है। निदेशालय ने इस नए कोर्स को शुरू करने के लिए पाठयक्रम सामग्री और स्लेबस भी तैयार करा लिया है। कोर्स के दौरान छात्रों को कटिंग, मसाज, एवं अन्य कार्यो की जानकारी और हेयर ड्रेसिंग में प्रयोग की जाने वाली सभी आधुनिक तकनीकों की जानकारी हेयर विशेषज्ञों एवं कुशल प्रशिक्षकों द्वारा दी जाएगी। तीन माह का किताबी ज्ञान और बाकी के लिए ट्रेनिंग सेशन रखा गया है। इसमें कोर्स करने वाले छात्रों को नामी-गिरामी हेयर ड्रेसरों एवं हेयर स्टाइलिस्टों के पास ट्रेनिंग की व्यवस्था की जाएगी। निदेशालय ने दिल्ली में 11 नामी-गिरामी हेयर सैलून को ट्रेनिंग सेंटर के रूप में अपने साथ जोड़ा है।