Saturday, May 8, 2010

लव के पीछे है केमिकल लोचा



         
आखिर 'लव' में ऐसा क्या है जो इसे दुनिया की सबसे बड़ी मिस्ट्री माना गया है। अपने प्रेमी के लिए ललक ऐसी चीज है, जिसने वैज्ञानिकों को भी लम्बे वक्त तक हैरान किया है। प्यार करने वालों के बीच इस पागलपन का कारण जानने के लिए जाने कितनी खोजें हुई। अगर उन खोजों पर यकीन करें तो दो प्रेमियों की इमोशंस और उनके चेंज होने के पीछे जो असली कारण है, वह है शरीर में होने वाला केमिकल लोचा।
वैज्ञानिकों के अनुसार प्यार की अलग-अलग स्टेजेस जैसे इन्फैचुएशन, कडलिंग, अट्रैक्शन यहां तक कि बिट्रेयल के पीछे भी काम करते हैं कुछ खास केमिकल्स।
वैज्ञानिक मानते हैं कि आकर्षण असल में इन न्यूरोकेमिकल्स के वर्चुअल एक्सप्लोजन जैसा है। जिसके बाद आपको फील गुड होने लगता है। पीईए, एक केमिकल है जो नर्व सेल्स के बीच इन्फॉर्मेशन का फ्लो बढ़ा देता है। इस केमिस्ट्री में डोपामाइन और नोरिफिनेराइन नामक दो केमिकल्स भी बड़ा इंट्रेस्टिंग काम करते हैं। डोपामाइन हमें फील गुड का अहसास कराता है और नोरिफिनेराइन एड्रिनैलिन का प्रोडक्शन बढ़ा देता है। किसी को देखकर बढ़ने वाली हार्ट बीट इन कैमिकल्स की ही देन है, जिसे प्रेमी कुछ कुछ होना समझ बैठते हैं। ये तीनों कैमिकल्स कम्बाइन होकर काम करते हैं। इन्फैचुएशन जिसे इन जनरल लोग आपकी 'केमिस्ट्री' कहते हैं। यही कारण है कि नए प्रेमी खुद को हवा में उड़ता हुआ, बेहद ऊर्जावान सा फील करते हैं।
किसी के साथ कडल अप करने का मन बस यूं ही नहीं होता। इसके पीछे भी एक केमिकल है जनाब! ये है ऑक्सिटोसिन, जिसे कडलिंग केमिकल भी कहा गया है। वैसे तो ऑक्सिटोसिन को मदरहुड से भी संबंध किया जाता है लेकिन ये भी माना जाता है कि ये महिला और पुरूष दोनों को ज्यादा कूल और दूसरों की फीलिंग्स के लिए सेंसिटिव बनाता है। सेक्सुअल अराउजल में भी इसका खास रोल है। ऑक्सिटोसिन प्रोडक्शन ट्रिगर करने के पीछे इमोशनल रीजंस भी हो सकते हैं और फिजिकल भी। यानी अपने लवर की फोटो देखने, उसके बारे में सोचने से लेकर उसकी आवाज सुनने, उसके किसी खास अपीयरेंस तक कुछ भी आपकी बॉडी में ऑक्सिटोसिन का प्रोडक्शन बढ़ा सकता है। अगर प्रेमी फिजिकली प्रेजेंट हैं तो यही हार्मोन एक-दूसरे को गले लगाने और कडल करने के लिए उकसाता है।
इन्फैचुएशन कम होते ही केमिकल्स का एक नया ग्रुप टेकओवर कर लेता है। इसे क्रिएट करते हैं एन्डॉर्फिन्स। ये केमिकल्स पीईए जैसे एक्साइटिंग नहीं होते लेकिन ज्यादा एडिक्टिव और कूल करने वाले होते हैं। यही कारण है कि इन्फैचुएशन के बाद प्यार की अगली स्टेज यानी अटैचमेंट में इंटिमेसी के साथ-साथ ट्रस्ट, वॉ‌र्म्थ और साथ वक्त बिताने जैसी इमोशंस फील की जाती हैं। जितना ज्यादा लोग इन केमिकल्स के आदी हो जाएं वो उतना ही इनसे दूर नहीं रह सकते। यही कारण है कि लम्बे चलने वाले लव अफेयर्स या कोई खास रिश्ता टूटना आप बर्दाश्त नहीं कर पाते। इसके पीछे रीजन है इन केमिकल्स का लत लगना। अपने पार्टनर के दूर जाने पर उसे मिस करने के पीछे भी यही एंडॉर्फिन्स होते हैं।
प्रेमी के दूर जाने पर ये केमिकल्स बॉडी में कम होने लगते हैं और इनके आदी होने की वजह से आप अपने प्रेमी, या विज्ञान की भाषा में कहें तो इन हारमोन्स की कमी महसूस करने लगते हैं।

संजय झील की कहानी, इसमें नहीं आया पानी



दिल्ली पर्यटन विभाग संजय झील में पानी की व्यवस्था तो कर नहीं पाया है, अलबत्ता विभाग ने पांच नई बोट जरूर खरीद ली हैं संजय झील में चलाने के लिए। दिल्ली पर्यटन विभाग संजय झील को सजाने की तो सोच रहा है, मगर विभाग की ओर से सूखी हुई इस झील में फिर से पानी लाने के कोई प्रबंध नहीं किए गए हैं। ऐसे में जब झील ही नहीं रही तो सूखी झील में नई बोट उतारना किसी तुगलकी योजना से कम नहीं है।
उल्लेखनीय है कि संजय झील एक प्राकृतिक झील है। पिछले कई वर्षो से इसके अंदर की गाद न निकाले जाने और इसमें अतिरिक्त पानी की आपूर्ति न किए जाने से इस झील का 90 प्रतिशत हिस्सा पूरी तरह से सूख चुका है। शेष बचे 10 प्रतिशत हिस्से में भी मात्र एक फुट की गहराई तक ही पानी बचा है। जिसमें गहरी गाद, काई और घास है। इसमें न तो नौकायन हो सकता है और न ही प्रवासी पक्षी यहां आते हैं।
ऐसे में दिल्ली पर्यटन विभाग ने झील की इस बदहाल स्थिति को दरकिनार करते हुए इसमें अतिरिक्त पानी की आपूर्ति कराने के बजाए पांच नई पैडल मारकर चलाने वाली बोट यहां के लिए खरीदी है। इन बोट को अत्याधुनिक एवं शिकारा नाव जैसा लुक प्रदान करते हुए इन पर छतें भी लगवाई गई हैं। इन महंगी बोट को संजय झील के एक फुट बचे पानी में जब उतारा गया तो ये झील में फंस गई और दो फुट दूरी तक भी नहीं चल पाई। जिससे दिल्ली पर्यटन विभाग के अधिकारियों को अपनी कमी का अहसास हो गया। मामले को लीपा-पोती करने का प्रयास करते हुए डीडीए अधिकारियों को संजय झील में पानी का प्रबंध करने को भी कहा गया है।
इस बारे में दिल्ली पर्यटन विभाग के मुख्य प्रबंधक केबी शर्मा से जब बात की गई तो वे समस्या के प्रति गंभीर नजर नहीं आए। उनका कहना था कि संजय झील के जिस क्षेत्र में पानी है, उस क्षेत्र में बोटिंग होती है। वहां पर उन्हें पानी की कोई कमी दिखाई नहीं देती। उन्होंने कहा कि पानी भरपूर मात्रा में है, जिसके चलते वहां पर उन्होंने नई बोट पानी में उतारी है। जबकि हकीकत यह है कि उस हिस्से में भी बोट दो फुट नहीं चल पा रहीं। हालांकि आगे उन्होंने कहा कि संजय झील में पानी का प्रबंध करने का जिम्मा डीडीए का है, उनके विभाग का काम केवल वहां पर पर्यटन को बढ़ावा देने का है। इस तरह उन्होंने गेंद डीडीए के पाले में डाल दी

Friday, May 7, 2010

mast logon k mast hair style

takli auntie



mujse shadi karoge


mujko nahi mere balon ko dekho


main khoobsurat hu na bhai log


panja hair style


ballon ki topi



aage to moochh ugi nahi to piche hi uga ki


ujda chaman



my hand cut hair style


dragon cut


opps kuch baal katna bhul gaya naii


hellycoopter


ujda chaman ki bacchi hui kheti


bridge cut hair style


super main and bat man



or finally kukdu-ku hair sttyle