Tuesday, May 25, 2010

पैसा बचाने के 10 तरीके

ऐसे बहुत से लोग है जिनकी आमदनी अच्छी-खासी है, लेकिन उन्हे पता भी नहीं चलता और आश्चर्यजनक ढंग से उनका पैसा समाप्त हो जाता है, जबकि बहुत से काम और अगली आमदनी के कई दिन बाकी रहते हैं। यह सिर्फ आपकी जेब में छेद होने से ही नही, आपकी गलत आदतों का भी परिणाम होता है। जानिए बचत के कुछ टिप्स-
[1. बाहर खाने से बचें]
अगर बार-बार बाहर खाने की आपकी आदत हो, तो कोशिश करके इससे बचें। बाहर का खाना जहां महंगा होता है, वहीं नुकसानदेह भी। आपका बजट अक्सर इससे भी गड़बड़ाता है।
[2. यात्रा व्यय पर नियंत्रण]
अगर आपके शहर में बस की बेहतर सुविधा उपलब्ध है, तो रोज ऑटो या टैक्सी पकड़ने के स्थान पर बस से आने-जाने की आदत डालें।
[3. चाय-कॉफी पर नियंत्रण]
आजकल ज्यादातर कार्यालयों में कर्मचारियों के लिए डिस्पेंसिंग मशीन चाय-कॉफी के लिए लगी होती है। मशीन वाली चाय-कॉफी पीना अपनी आदत बनाएं। बाहर से ऑर्डर पर ऐसी चीजें बार-बार लेने से, पता तो नहीं चलता पर पैसा काफी खर्च हो जाता है।
[4. लंच लेकर जाएं]
आजकल ऐसे इलेक्ट्रिक टिफिन आ रहे है जिनमें रखा खाना आप खाने से पहले चंद मिनटों में गरम कर सकते है। कुछ कार्यालयों में माइक्रोवेव होते है या किचेन में खाना गर्म करने की व्यवस्था होती है। इसे अपनाकर भी आप पैसा बचा सकती है।
[5. शॉपिंग पर नियंत्रण]
पैसा हाथ में आते ही यह जरूरी नहीं कि आप शॅापिंग पर निकल पड़े। इससे बेहतर होगा कि आप पहले आवश्यक सामान की लिस्ट बनाएं और उन्हे ही खरीदें।
[6. घर पर सौंदर्य की देखरेख]
आमतौर पर समय या श्रम को बचाने के लिए बाल धोने तक के लिए आप पार्लर चल देती है। यदि छोटे-मोटे काम घर पर ही कर लें तो आप बहुत सा पैसा बचा पाएंगी।
[7. सस्ता विकल्प देखें]
बहुत दिखावे वाले अत्यंत महंगे रेस्तरां में डिनर करने से जहां तक हो सके बचें। जरूरी नहीं कि महंगे होटलों व रेस्तरां में ही खाना अच्छा होता है, कई छोटे रेस्तरां भी सफाई व क्वालिटी का ध्यान रखते है।
[8. रिंगटोन लोड न करे]
बहुत से लोग मोबाइल हाथों में होने पर अपने पर नियंत्रण नहीं रख पाते। उनके हाथ लगातार सक्रिय रहते है और इसीकारण वे अक्सर जाने-अनजाने नई से नई रिंगटोन लोडकर अपना बिल बढ़ाते रहते है।
[9. फिल्म देखनी हो तो]
यदि फिल्म देखनी हो, तो सीडी या डीवीडी लाकर घर पर फिल्म देखें। आज यदि दो लोग भी थियेटर पर फिल्म देखने जाते है, तो चार-पांच सौ रुपए खर्च हो जाते हैं। आप चाहें, तो किसी वीडियो लाइब्रेरी से सीडी लाकर भी फिल्म देख सकती हैं।
[10. यात्रा में बचत]
जब भी वीकएंड या किसी यात्रा पर जाना हो, तो कॉमिक या नॉवल घर से ले जाएं। लंबी यात्रा पर रास्ते में महंगी किताब खरीदने से बचेंगे और अपना पैसा बचा पाएंगे।
याद रखिए बूंद-बूंद से सागर बनता है। आप भी अपने सागर को बृहद बनाने की तरफ प्रयास कर सकती है।

पांच सौ रुपये

तीर्थपुरी में चार दिन रहने के बाद वापसी में प्लेटफार्म पर बैठा मैं ट्रेन का इंतजार कर रहा था कि सामने आठ दस लोगों के एक परिवार पर नजर पड़ी।
परिवार का मुखिया मुट्ठी में कुछ रुपये दबाये पंडित जी से विनती कर रहा था, ''पंडित जी आपने हमारे पूरे परिवार को दो दिन काफी अच्छी तरह से सारे मंदिरों के दर्शन कराये, पूजा अर्चना भी कराई। ये हमारी तरफ से जो बन पड़ा उसे दक्षिणा के रूप में स्वीकार कीजिये।'' पंडित जी ने जानना चाहा, ''कितने है?''। ''देखिये महाराज जितनी हमारी श्रद्धा है उतना दे रहे है। कृपया स्वीकार करे।'' उन्होंने घाटे की आशंका से अपने मन की बात खोल ही दी, ''देखिये यजमान मैं पूरे दो दिन आपके साथ रहा। आपके पूरे परिवार को अच्छी तरह से दर्शन कराये आपको कम से कम पांच सौ रुपये तो देने ही पड़ेगे।'' ''पंडित जी मैंने अपने मन में बरसों से जो सोचा हुआ था उसे पूरा कर लेने दीजिये। वैसे ये तो अपनी अपनी श्रद्धा की बात होती है हमारी इतनी श्रद्धा है इसमें ना नहीं कीजिये!'' यजमान ने एक बार पुन: विनती की। पर पंडित जी नहीं माने, ''देखिये यजमान मैं तो पांच सौ रुपये ही लूंगा। आपके सोचने से थोड़े ही कुछ होता है।
कुछ मैंने भी तो अपने मन में सोचा हुआ है।'' यजमान ने थोड़ी देर सोचा और अंतिम बार पंडित जी से पूछा, ''तो आपको ये रुपये नहीं चाहिये?'' - ''नहीं यजमान, मैं आपको पहले ही बता चुका हूं, मुझे तो पांच सौ रुपये ही चाहिये।''
यजमान ने मुट्ठी खोली उसमें पांच पांच सौ के चार नोट थे। उसमें से उन्होंने एक नोट पंडित जी को दिया और बाकी के तीन नोट पास खड़े भिखारी को दे दिये।