Thursday, September 2, 2010

हाय रे महंगाई तू कैसी है महामारी

हाय रे महंगाई तू कैसी है महामारी  


मैं ना तुझसे कभी हारा, पर मेरी जेब है तुझसे हारी

लड़ता रहता हूँ अपने आप से, इस ज़माने से
मगर यहाँ पर जीना है मौत से भारी!

हाय रे महंगाई तू कैसी है महामारी  


खटता  रहता हु सारा सारा दिन काम में
मगर रात में भूख मिटती नहीं हमारी
मैं ना तुझसे कभी हारा, पर मेरी जेब है तुझसे हारी
हाय रे महंगाई तू कैसी है महामारी  



१०० के पेट्रोल में पहले जाता था एक हफ्ता, मगर अब
पूरा एक दिन भी नहीं चलती अपनी गाडी
  खाना महंगा मगर यहाँ सस्ती है गाडी,
शायद इसी लिये अपने देश में बढ़ रहे हैं भिखारी
हाय रे महंगाई तू कैसी है महामारी