Wednesday, June 11, 2014

फैसले का लाभ उन्हें भी, जिन्होंने न्याय नहीं मांगा : हाईकोर्ट

पवन कुमार, नई दिल्ली-
 न्याय पर सभी का हक होता है। पैसे वालों का भी और गरीबों का भी। कई बार कुछ गरीब लोग पैसा न होने के कारण उन्हें मिली सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील नहीं कर पाते। इस तरह के मामलों में अगर कोई अपील दायर करता है व उसे लाभ मिलता है और यदि अदालत महसूस करती है कि यह लाभ उन लोगों को भी दिया जाना चाहिए जिन्होंने अपील दायर नहीं की तो अदालत इस संबंध में आदेश जारी कर अपने फैसले का लाभ ऐसे लोगों को दे सकती है। यह टिप्पणी दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति एस. मुरलीधर की खंडपीठ ने सुप्रीम कोर्ट के कई निर्णयों का हवाला देते हुए अपहरण व लूटपाट के एक मामले में सुनवाई करते हुए की है। खंडपीठ ने मामले में निचली अदालत द्वारा सात साल कैद की सजा पाए अभियुक्त चंदन, अफजल व मुकेश को राहत प्रदान करते हुए मामले से बरी कर दिया है। इसके साथ ही खंडपीठ ने इसी मामले में अपील दायर न करने वाले दो अभियुक्तों करन व आकाश को भी राहत प्रदान करते हुए उन्हें भी मामले में बरी कर दिया है। खंडपीठ ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा दंडू लक्ष्मी रेड्डी बनाम महाराष्ट्र सरकार, जयपाल बनाम चंडीगढ़, जशुभा भरत सिंह गोहिल बनाम गुजरात सरकार और बाहुबली गुलाब चंद बनाम दिल्ली प्रशासन के मामलों में दिए गए निर्णयों का हवाला दिया। खंडपीठ ने कहा कि इस मामले में अभियोजन यह भी साबित करने में नाकाम रहा है कि पीडि़त प्रशांत पांडेय ने उसके साथ हुई घटना की शिकायत 15 दिन की देरी से क्यों पुलिस में दर्ज कराई। मामले में की गई देरी संदेह पैदा करती है। इतना ही नहीं, पुलिस ने वारदात में कथित रूप से इस्तेमाल की गई कार में से पीडि़त के फिंगर प्रिंट की जांच नहीं कराई है। पूरे मामले में जांच में कई खामिया हैं। ऐसे में अभियुक्तों को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है।

  यह था पूरा मामला

पेश मामले में आदर्श नगर थाने में प्रशांत पांडेय ने 14 मार्च 2010 को अपहरण व लूटपाट का एक मामला दर्ज कराया था। पांडेय का कहना था कि 27 फरवरी 2010 को मुकरबा चौक, करनाल बाईपास स्थित एक प्री-पेड टीएसआर बूथ से उसने एक आटो वेस्ट पटेल नगर जाने के लिए लिया। जब उसका आटो आदर्श नगर फ्लाईओवर के पास पहुंचा तो पीछे से एक मारुति कार अचानक आई और ऑटो के आगे लगाकर रोक दिया। उसमें से तीन-चार युवक उतरे और उन्होंने देसी कट्टे के बल पर जबरन उसका अपहरण कर उसे कार में बैठा दिया। कार में छह युवक सवार थे। उन्होंने उसका लैपटॉप व दो मोबाइल फोन छीन लिए। इसके बाद उसका एचडीएफसी बैंक का एटीएम कार्ड छीना और उसके माध्यम से दुर्गापुरी व मौजपुर के एटीएम से 10-10 हजार रुपये निकलवाए। बाद में उन्होंने उसे उस्मानपुर के पास कार से फेंक दिया और फरार हो गए। वह डरा हुआ था इसलिए सीधे अपने गांव चला गया। वापस लौटने पर उसने पुलिस को शिकायत दी। पुलिस ने मामले में जांच के बाद चंदन, अफजल, मुकेश, करन, आकाश व नासिर को गिरफ्तार किया था। निचली अदालत ने मामले में नासिर को बरी कर दिया था, जबकि अन्य पांचों को सात साल कैद की सजा सुनाई थी। इस निर्णय को चंदन, अफजल व मुकेश ने हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी थी जबकि करन और आकाश ने कोई याचिका दायर नहीं की थी।

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