Friday, August 26, 2016

दिल्ली में 2 बेटियों की दिल को झकझोर कर रख देने वाली दास्तान,,,,,,,,



बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ के अभियान का सरकार कितना ही प्रचार क्यों न कर ले,,मगर कड़वा सच यह है कि हमारे समाज में आज भी ऐसी घटिया और कुंठित मानसिकता के लोग हैं जो बेटियों को अपना बोझ समझते हैं। ये लोग बदलने वाले नहीं हैं। ऐसी ही 2 बेटियों की दिल को झकझोर कर रख देने वाली सच्ची घटना आप लोगों के सामने रख रहा हूं।।।। घटना कहीं दूर नहीं बल्कि देश की राजधानी दिल्ली के समयपुर बादली इलाके की है। जिसे सुन कर आपके भी रोंगटे खड़े हो जायेंगे और दिल में दर्द भी।।।।

समयपुर बादली के एक मकान में करीब 10 दिनों से बंद भूखी प्यासी दो मासूम बहनों को मुर्दा जैसे हालात में कमरे से पुलिस ने बाहर निकालकर अस्पताल में भर्ती कराया है। सिर में जगह जगह गहरे घाव, और सैकड़ों कीड़े रेंगते मिले। कमरे में एक टूटी चारपाई पर एक दूसरे का हाथ थामे मासूम बहनें दम तोड़ने के कगार पर पहुंच चुकी थीं।

 महज 8 साल की हिमांशी व 3 साल की दीपाली का कसूर सिर्फ इतना है कि, वह बेटियां हैं। मां बाप इन्हें बोझ मानते थे। छोड़कर चले गए। इकलौते बेटे को साथ ले गए। मासूमों की सिसकती आहें, कमरे की चारदीवारी से बाहर नहीं आ पा रहीं थीं।

बस, कमरे से तेज बदबू बाहर आ रही थी। जब आसपास के लोगों ने झांककर देखा। अंदर रोंगटे खड़े कर देने वाला नजारा सामने था। फौरन पुलिस को कॉल की गई। पुलिस ने दरवाजा खोला तो अंदर घुस पाना मुश्किल था। मुंह पर कपड़ा रख पुलिस अंदर जा सकी। सड़ी गली हालत में दोनों बच्चियों की बस सांसें चल रही थीं। अड़ोसी पड़ोसियों की आंखें नम थीं।

सीनियर पुलिस अफसरों के मुताबिक 19 अगस्त की दोपहर 11:58 बजे मकान मालिक नंदकिशोर की तरफ से कॉल मिली थी। हाउस नंबर 304, शिव मंदिर के पास राधा विहार, नेपाली कॉलोनी पुलिस टीम पहुंची। इस घर में ग्राउंड फ्लोर पर करीब दो साल से किराए पर वह परिवार रहा था। इनमें 35 साल का बंटी, उसकी वाइफ रजनी, 5 साल का बेटा और 8 व 3 साल की बेटियां हैं। बंटी शराब का आदी था। कमाना छोड़ दिया था। करीब 2 महीने पहले रजनी बेटे को अपने साथ लेकर चली गई। बेटियों को उनके हाल पर छोड़ गई।

हिमांशी और दीपाली कमरे में अकेली मां की याद में तड़पती रहतीं। शराबी पिता बेटियों को ताने देता था। खाने पीने का कुछ सामान भी नहीं बचा था। कमरे में हवा का साधन भी नहीं। भीषण गर्मी में घुटन वाले इस कमरे में मक्खी, मच्छर फैले हुए थे। भूख प्यास से बिलखती बच्चियां मां के जाने के बाद निढाल पड़ी रहतीं।

उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं था। पिता बंटी भी बेटियों को कोसता रहता। 10 अगस्त को वह भी दोनों बेटियों को छोड़कर चला गया। बंटी ने बेटियों की सुधबुध तक नहीं ली। दोनों बच्चियां टूटी चारपाई पर पड़ी रहीं। संक्रमण की वजह से सिर में फोड़े फुंसी फैल गए थे। उनमें पस बढ़ता चला गया, सिर में कीड़े पड़ गए। जब कि 3 साल की मासूम बच्ची को कुछ होश ही नहीं था। बहन का हाथ थामे थी। सिर से सैकड़ों कीड़े रेंगते हुए चारपाई पर भी घूम रहे थे।

पुलिस टीम दोनों बच्चियों को मरणासन्न हालत में बाबा साहेब अंबेडकर अस्पताल लेकर पहुंची। डॉक्टरों ने उनकी हालत देखी तो सन्न रह गए। सड़ने गलने से इंफेक्शन की नौबत ब्रेन तक आ चुकी थी। उन्हें मौत के मुंह से बचाने के लिए 4 दिन तक स्पेशल ट्रीटमेंट किया गया। अब हालत में धीरे धीरे सुधार हो रहा है। दोनों बहनें अस्पताल के वार्ड नंबर 32 में बेड नंबर 37 पर हैं। उन्हें सभी जरूरी आहार दिया जा रहा है। देखभाल के लिए समयपुर बादली थाने के दो पुलिस वालों की 24 घंटे डे नाइट ड्यूटी लगाई गई है।

पुलिस वालों ने किया कंट्रीब्यूशन

जिन हालात में बच्चियों को बाहर निकाला गया। समयपुर बादली थाने का पुलिस स्टाफ उन्हें बचाने की मुहिम में जुट गया। एसएचओ अनिल समोटा, एसआई दीपक व अन्य स्टाफ के लोगों ने अपनी अपनी मर्जी से पैसा कंट्रीब्यूट किया। बच्चियों के लिए नए कपड़े खरीदकर दिए। उनके मनपसंद खाने पीने की चीजें मुहैया कराई। अस्पताल में देखभाल के लिए दो पुलिस वाले उनके लिए खाने पीने से लेकर कपड़ों का पूरा ध्यान रख रहे हैं। एसीपी एस एस बल्लभ, एसएचओ अनिल डेली अस्पताल में जाकर बच्चियों से मिलते हैं।

दादी ने किया अपनाने से इंकार

मां बाप की खोजबीन में जुटी पुलिस को बच्चियों की दादी के बारे में पता चला। करीब 80 साल की बुजुर्ग रामेश्वरी देवी ओल्ड एज होम में रहती है। पता चला कि बंटी ने उन्हें निकाल दिया। काफी समय तक दर दर भटकती रहीं। फिर लौटकर नहीं गईं। पुलिस ने उनसे संपर्क साधा और बच्चियों के देखभाल की बात कही तो उन्होंने भी अपनाने से साफ इनकार कर दिया। पुलिस ने फिलहाल सीडब्ल्यूसी को रिर्पोट भेजी है। जहां से जवाब मिला है कि पूरी तरह स्वस्थ हो जाने तक अस्पताल में डॉक्टरों की निगरानी में रखा जाए। उसके बाद रिहेबिलिटी सेंटर भेजा सकेगा।

Tuesday, August 23, 2016

#नरेंद्र_मोदी_के_पास_इतनी_है_धन_दौलत



क्या आप जानते हैं देश के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के पास कितनी धन दौलत है। नहीं जानते तो आपके लिए यह जानना बेहद जरुरी है। अभी हाल ही में प्रधानमंत्री कार्यालय की वेबसाइट पर प्रधानमंत्री और उनके मंत्रियों की संपत्ति का ब्यौरा डाला गया है। जिससे कि देश की जनता जान सके कि उसके द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधि की धन दौलत कितनी है।

आप सोच रहे होंगे कि देश के प्रधानमंत्री के पास करोड़ो की धन दौलत होगी। आखिर भारत बड़ा देश है और यहाँ तो चपरासी तक के पास कई करोड़ मिल जाते हैं  लेकिन मोदी जी के बारे में ये सच्चाई बिल्कुल अलग है। मोदी सरकार ने अपने मंत्रि‍यों की संपत्ति का खुलासा किया है। जिसमें पीएम मोदी की प्रॉपर्टी की बात सामने आई है कि पीएम मोदी के पास न तो कोई प्रॉपर्टी है और न ही कोई कार।

 पीएमओ वेबसाइट के अनुसार पीएम मोदी की प्रॉपर्टी को लेकर ये खुलासा हुआ है।

मोदी जी के पास  नकद के नाम पर केवल 89 हजार 700 रुपए हैं  तथा उनके बैंक में 2 लाख 9 हजार 296 रुपये हैं, जबकि बैंक एफडी 51 लाख 27 हजार 428 रुपये हैं। उनके पास एल एंड टी का 20 हजार का बॉन्ड और नेशनल सेविंग्स स्कीम में 3 लाख 28 हजार 106 रुपए हैं। वहीं एलआईसी की एक पॉलिसी 1 लाख 99 हजार 31 रुपये की है, जबकि गहने के नाम पर चार सोने की अंगूठी के नाम पर 1 लाख 27 हजार 645 रुपए हैं। सबसे चौंकाने वाली बात तो ये है कि पीएम के पास कोई जमीन नहीं है। कोई कार नहीं है। कोई लोन भी नहीं है। मोदी कुल मिलाकर केवल 73 लाख 36 हजार 996 के मालिक हैं।

मोदी जी के पास दुबई में कोई फ्लैट नही है , ना दिल्ली में कोई घर है एक प्लाट अहमदाबाद में था जो उनके मुख्यमंत्री कोटे से मिला था उसको भी मोदी जी दान कर चुके हैं ,, मोदी कभी मुख्यमंत्री रहते या प्रधानमंत्री रहते हुए भी कोई भी कहीं से भी मिला उपहार स्वयं के लिए नही रखते  उनके लिए सारे उपहार देश की संपत्ति हैं , मोदी जी की माँ आज भी 8*8 के कमरे में रहती है जबकि मोदी 13 साल मुख्यमंत्री रह चुके हैं और 2 साल से भी ज्यादा से परधानमंत्री हैं |

यहाँ आपको एक बात और बता दें कि मोदी जी PM के रूप में सरकारी आवास में रहते हुए अपने खाने पीने का और मोबाइल का बिल खुद वहन करते हैं सरकार से इसके लिए कोई पैसा नही लेते , क्या आपको गर्व हो रहा है ऐसे PM पर ? हमे तो निश्चित रूप से गर्व है |