Wednesday, April 19, 2017

अयोध्या राममंदिर विवाद सुलझाने के लिए हो चुके हैं 9 असफल प्रयास



पवन कुमार, नई दिल्ली 

अयोध्या में राम मंदिर विवाद को बीते दिनों कोर्ट के बाहर निपटाने की चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने सलाह दी थी। ऐसा नहीं है कि राम मंदिर विवाद को सुलझाने के कभी प्रयास नहीं हुए। बहुत कम लोग ही जानते होंगे कि यह विवाद देश की आजादी से भी बहुत पहले शुरू हो गया था। करीब 150 साल पुराने इस विवाद का सुलझाने का प्रयास आजादी से पहले 1859 में ब्रिटिश सरकार भी कर चुकी है। मगर वह असफल रही थी।

 इतना ही नहीं देश के तीन पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, चंदशेखर और पीवी नरसिम्हा राव भी इस विवाद को कोर्ट के बाहर हल करने के लिए पहल कर चुके हैं, मगर सफल नहीं हुए। इस विवाद को लेकर वोटबैंक की राजनीति इतनी हावी है कि हर बार असफलता ही हाथ लगती है।



 राम मंदिर विवाद के करीब 150 साल के इतिहास में अब तक हुए समझौतों के प्रयास- 

 1- रामजन्म भूमि पर कब्जे को लेकर सबसे पहले विवाद 1859 में हुआ था। उस समय ब्रिटिश सरकार ने मध्यस्थता करते हुए एक कच्ची दिवार बनाई और तय किया कि अंदर का हिस्सा मुसलमानों का और बाहर का हिस्सा हिंदुओं का। मगर यह व्यवस्था लोगों को रास नहीं आई। महंत रघुवरदास ने 1885 में राम चबूतरे पर एक छत्र का निर्माण करने के लिए अनुमति प्राप्त करने के लिए ब्रिटिश कोर्ट में याचिका दायर की।

 2- 1990 में तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने विवाद के समाधान की कोशिश की जब विश्व हिन्दू परिषद के स्वयंसेवकों ने बाबरी मस्जिद के आशिंक हिस्से को क्षतिग्रस्त कर दिया। लेकिन वह प्रयास असफल रहा।

 3- विश्व हिंदू परिषद, शिवसेना और बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने 6 दिसंबर 1992 को को बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया। इसके परिणामस्वरूप देश भर में हिंदू और मुसलमानों के बीच सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे। इसके 10 दिनों के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री राव ने इसकी जांच के लिए लिब्राहन आयोग का गठन कर दिया। 17 साल बाद जून 2009 में आयोग ने अपनी रिपोर्ट सौंपी। लेकिन यह रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई।

 4- प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने जून 2002 में अयोध्या सेल का गठन किया और शत्रुघ्न सिंह को हिन्दू और मुस्लिम नेताओं से बातचीत की जिम्मेदारी सैंपी। लेकिन यह पहल महज घोषणा तक ही सीमित रह गई।

 5- इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 26 जुलाई 2010 को सभी पक्षों को शांतिपूर्वक इस मामले को सुलझाने को कहा, पर किसी ने रूचि नहीं ली। कोर्ट ने कहा कि 24 सितंबर को फैसला सुनाया जाएगा।

 6- सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को 23 सितंबर 2010 को कोर्ट के बाहर सुलझाने की याचिका दायर की गई। तब कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी और इलाहाबाद हाईकोर्ट को अपना आदेश देने को कहा।

 7- इस मामले में 24 फरवरी 2015 को मुस्लिमों के पक्षकार मोहम्मद हासिम अंसारी ने अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत ज्ञान दास से मुलाकात की और इस विवाद के हल के लिए नए प्रस्ताव पर चर्चा की। लेकिन कोर्ट के बाहर समाधान की कोशिश बेकार रही।

8- अयोध्या में 10 अप्रैल 2015 को दोनों ही ओर के पक्षकारों ने विवाद के समाधान के लिए एक बार फिर बातचीत शुरू की। हिन्दुओं के मुख्य पक्षकार हिंदू महासभा के अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणी ने मुस्लिम पक्षकारों से मुलाकात की। लेकिन पहली ही बैठक के बाद यह प्रयास भी बेनतीजा रहा।

9- 31 मार्च, 2016 को दोनों ही पक्षों के नेता फिर मिले। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने हाशिम अंसारी से मिले। इस पहल में कोई बात आगे बढ़ती कि हाशिम अंसारी का इंतकाल हो गया।